बहुतायत

परिपूर्णता: जो कोई भी सोचता है कि उसमें पूर्णता है, तो वह सूद खाता है, और यदि पूर्णता समाप्त हो जाती है, तो उसे अपने मामलों को आगे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए ।