कांटा : एक कठिन, अज्ञानी बेदौइन आदमी । यह कहा गया कि यह एक प्रलोभन या एक धर्म है । और जो भी देखता है कि जैसे वह कांटों पर चल रहा है, वह कर्ज चुकाने में अग्रणी है । जो कोई काँटों से पीड़ित होता है उसे धर्म से उतना ही नुकसान पहुँचता है जितना वह उससे नफरत करता है । और हर पेड़ में कांटे होते हैं, इसलिए वह उतना ही कठोर है जितना कि उसके कांटे ।