और अल-किरमानी ने कहा, ~जो कोई भी सोचता है कि वह तृप्ति और भूख के बीच है, और उसकी आज्ञा उस में उदार है, तो यह प्रशंसनीय है ।~
और अल-किरमानी ने कहा, ~जो कोई भी सोचता है कि वह तृप्ति और भूख के बीच है, और उसकी आज्ञा उस में उदार है, तो यह प्रशंसनीय है ।~