शायद परवरिश की दृष्टि कुछ ऐसा इंगित करती है जिसका वह इरादा था, चाहे वह एक व्यक्ति, एक जानवर, एक निर्जीव वस्तु या एक पौधा हो, इसलिए साधक को इस पर विचार करना चाहिए और समझना चाहिए कि उसके जागरण में क्या इरादा था ।
शायद परवरिश की दृष्टि कुछ ऐसा इंगित करती है जिसका वह इरादा था, चाहे वह एक व्यक्ति, एक जानवर, एक निर्जीव वस्तु या एक पौधा हो, इसलिए साधक को इस पर विचार करना चाहिए और समझना चाहिए कि उसके जागरण में क्या इरादा था ।